झूठे सुख से मुझे दोस्तों.. सच्चा दुख अधिक भाता है..
झूठे सुख से मुझे दोस्तों.. सच्चा दुख अधिक भाता है..
क्योंकि झूठे सुख का सच.. जब भी सामने आता है..
वह सच्चे दुख से भी अधिक.. रंजोदर्द दे जाता है...
उस रंजोदर्द को दोस्तों नहीं हर कोई झेल पाता है..
झूठे सुख से मुझे दोस्तों.. सच्चा दुख अधिक भाता है..
बड़ा हूँ मैं तो बड़ा कहो.. छोटा हूँ गर तो छोटा कहो..
दुबला हूँ मैं तो दुबला कहो..मोटा हूँ गर तो मोटा कहो..
गोरा हूँ मैं तो गोरा कहो..काला हूँ गर तो काला कहो..
दुश्मन हूँ मैं तो दुश्मन कहो..दोस्त हूँ गर तो हमप्याला कहो..
झूठी प्रशंसा से अधिक आनंद..सच्ची निंदा में आता है..
झूठे सुख से मुझे दोस्तों.. सच्चा दुख अधिक भाता है..
चिंता ना करो झेल चुका हूँ मैं..
चिंता ना करो झेल चुका हूँ मैं..
बाण कई कटाक्षों के..
तीर कई तानों के..
झेल चुका मैं भाले भी कई..
अपनों ने किये अपमानों के..
अब तो दिलेनादान मेरा ये..
गैरों की तलवारें भी हंसकर झेल जाता है..
झूठे सुख से मुझे दोस्तों.. सच्चा दुख अधिक भाता है..