ऐ दिल-ए-नादान तू क्यों है परेशान तू..
ऐ दिल-ए-नादान तू मत हो परेशान तू..
जानकर सभी तू फिर भी बन रहा अंजान तू..
हर वीरान-ए-दिल में क्यों है खोजता जहान तू..
बेवजह ही पैदा कर रहा है ये तूफान तू..
ऐ दिल-ए-नादान तू मत हो परेशान तू..
चोट है खाई मगर ऐ दिल न हो उदास तू..
प्यार से भरा हूआ है दिल खुदा-ए-खास तू..
रंजोगम है तुझमें फिर भी साबुत-ए-ईमान तू..
ऐ दिल-ए-नादान तू मत हो परेशान तू..
दिल तेरे चमन में फिर खिलेगा गुल बहार का..
आयेगी बहार कर यकीं खुदा-ए-यार का..
प्यार से भरेगा देख लेना गुलिस्तान तू..
ऐ दिल-ए-नादान तू मत हो परेशान तू..
-भूषण जोशी
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