Wednesday 21 January 2015

हिन्दी कविता- सीधा साधा गँवार हूँ..

 सीधा साधा गँवार हूँ..

 

 न मैं बंदूक हूँ ना ही तलवार हूँ..
संस्कृति-सभ्यता से जुड़ा.. सीधा साधा गँवार हूँ..

 

आदर बड़ों का करता श्रद्धा से हर बार हूँ..
छोटों का भी मैं करता दिल से दुलार हूँ..

 

न फॅशन की चाह कोई..न डिस्को का बुखार है..
मेरे लिये तो सादगी ही..मेरा साज-शृंगार है..

 

भारत मे रहता हूँ मैं..भारत से ही मुझे प्यार है..
सुना है आजकल मेरी उमर के..नौजवानों पर INDIA सवार है..

 

नफ़रत नहीं है मुझे पश्चिम से..ना ही पाश्चात्य से कोई बैर है..
किंतु संस्कृति को अपनी बचाना चाहता हूँ..
क्योंकि इसी में अगली पीढी की खैर है..

 

न भूला मैं संस्कारों को..न त्यागा शुद्ध विचारों को..
ना ही छोड़ा मानव धर्म को अपने..न अपनाया दुराचारों को..

 

एकनिष्ठ एकाग्र स्वयं से, प्राणों पर अपने उदार हूँ..
देशधर्मरक्षा हेतु सदा मर-मिटने को तैयार हूँ..

 

न मैं बंदूक हूँ ना ही तलवार हूँ..
संस्कृति-सभ्यता से जुड़ा.. सीधा साधा गँवार हूँ..

                                                                                                 -भूषण जोशी

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